तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय

तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय
तुम्हीं को अपनी करुण कहानी सुना रही है तुम्हारी गाय

वो गाय तुमने जिसे चराया चरा के गोपाल नाम पाया
क्यूँ आज असहाय हो के आँसू बहा रही है तुम्हारी गाय तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय…..

कहाँ वो मुरली की मीठी तानें कहाँ वो बृजवन सघन सुहाने गए जमाने की याद तुम को दिला रही है तुम्हारी गाय तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय……

उठालो अब हाथ में दुधारा दिखा दो वो कल्कि रूप प्यारा तुम्हारे दर्शन की आस तुम से लगा रही है तुम्हारी गाय तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय..

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