दरबार मेरे श्याम का सबको बुला रहा

दरबार मेरे श्याम का,
सबको बुला रहा,
किस्मत में जिनके श्याम है,
बस वो ही आ रहा,
दरबार मेरें श्याम का,
सबको बुला रहा। bd l

बैठा है मेरा साँवरा,
भंडार खोलकर,
गिनकर नहीं ये दे रहा,
और ना ही तौलकर,
जिसमें है जितनी भावना,
उतना वो पा रहा,
दरबार मेरें श्याम का, सबको बुला रहा। bd l

जिसने भी सच्चे भाव से,
इनको रिझा लिया,
चरणों में मेरें श्याम के,
सर को झुका लिया,
नजदीक ‘पुष्प’ श्याम के,
आता वो जा रहा,
दरबार मेरें श्याम का,
सबको बुला रहा।bd I

खाटू में बैठ साँवरा,
सबपे रखे नज़र,
खुशियों की अपने दास को,
देता सदा ख़बर,
किरपा से श्याम की ‘किशन’,
सब कुछ है पा रहा,
दरबार मेरें श्याम का,
सबको बुला रहा। bd l

दरबार मेरे श्याम का,
सबको बुला रहा,
किस्मत में जिनके श्याम है,
बस वो ही आ रहा,
दरबार मेरें श्याम का,
सबको बुला रहा। bd l

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