प्रभु मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो,
ना छल ना कपट हो,
मेरी जिंदगी में,
प्रभु फिर से निर्मल,
मेरा मन बना दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो। bd।
तर्ज – वो जब याद आए।
नैना निश्छल मेरे,
मन में हो भोलापन,
तोतली हो जुबां,
गाऊँ जब भी भजन,
वही मीठी बातों से,
तुझको रिझाऊँ,
मेरे लाड में तुम भी,
सब कुछ लुटा दो।
प्रभु, मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो। ॥1॥
सोचता हूँ प्रभु,
क्यों बड़ा हो गया,
क्या मिला है मुझे,
क्या मेरा खो गया,
अगर अब गिरूँ जो,
उठाता न कोई,
वो गिर-गिर के उठना,
संभलना सिखा दो।
प्रभु, मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो। ॥2॥
सबने चाहा यही,
कि मैं लायक बनूँ,
बोझ परिवार का,
काँधों पर मैं धरूँ,
बस एक तुमने चाहा के,
बालक रहूँ मैं,
ये मुरझाए पंकज को,
फिर से खिला दो।
प्रभु, मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो। ॥3॥
प्रभु मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो,
ना छल ना कपट हो,
मेरी जिंदगी में,
प्रभु फिर से निर्मल,
मेरा मन बना दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो। bd।