धुन : बाजरे दा सिट्टा
भानू भवन में बजे बधाइयां खुशीयां आज छाईं हैं,
भानू भवन में कीरत मैया ने प्यारी सी, लाली आज जाई है,
भानू भवन में
लली बड़ी ही सोहनी सुंदर, रूप छटा उजियारी स्वर्ण का पलना झूल रही है,
लाडो भानू दुलारी जो कोई दरस को आवे— जय हो लली का पलना झुलावे—
जय हो वारे बलिहारे जावे—
जय हो परम आनंद सुख पावे—
जय हो स्तुति गान करें देवी देवता, जय जयकार बुलाई है,
भानू भवन में—
भानू कीर्ति नहीं समाते, आज खुशी के मारे गोप गोपियां झूम झूमकर,
नाचें गावें सारे बाज रहे ढोल शहनाई— जय हो गूंज रहे गीत बधाई—
जय हो झड़ी फूलों ने लगाई—
जय हो महक उठी पुरवाई— जय हो रस भरी बूंदें बरस रही हैं,
श्याम घटाएं छाई हैं, भानू भवन में—
भानू बाबा खोल दिए हैं, आज खज़ाने सारे भर भर झोली निकल रहे हैं,
भानू भवन से सारे बड़ा सुंदर है नजारा— जय हो सजा रावल है सारा—
जय हो मेला लगा है भारा—जय हो
झूम उठा ब्रज सारा— जय हो
“मधुपहरि” मूंह मांगी सबको मिल रही आज बधाई है, भानू भवन में—