ये भीड़ नहीं बाबा,
कुछ लेने आयी है,
तेरी नजर रहे हम पर,
यही कहने आयी है।।
तर्ज – दिलदार कन्हैया ने।
हम दीनों को बाबा,
बस आस यही रहती,
मन्जर चाहे जैसा हो,
पर डूबे ना ये कश्ती,
छोटी-छोटी बाते,
बतलाने आयी है,
तेरी नजर रहे हम पर,
यही कहने आयी है।।
जो तुझको ठीक लगे,
वो मिल ही जाता है,
तेरी मर्जी को ये दास,
दिल से अपनाता है,
बस यू ही निभती रहे,
जो निभती आयी है,
तेरी नजर रहे हम पर,
यही कहने आयी है।।
एहसान बहुत तेरे,
कैसे मै शुकर करू,
ये कर्ज की काया है,
इसपे ना फक्र करू,
पंछी तेरी चौखट पे,
यही अरज लगाई है,
तेरी नजर रहे हम पर,
यही कहने आयी है।।
ये भीड़ नहीं बाबा,
कुछ लेने आयी है,
तेरी नजर रहे हम पर,
यही कहने आयी है।।