श्यामधणी थारा लाड़ म्हे लडा़वण आया हां।

श्यामधणी थारा लाड़ म्हे लडा़वण आया हां।
आज सिंधारा श्याम का मनावणं आया हां।।

सोना रो थानै छत्तर चढा़वा, हीरा को थारो हार गढा़वा
आज करां श्रृगांर चाव स, केशर चन्दन तिलक लगावां
लाल गुलाबी हार…म्हे पहरावण लाया हां
आज सिंधारा श्याम का…

रंगबिरंगो सबसे न्यारो, घेर घूमेर है बागो थारो
पहन दिखावो खाटुवाला, खूब जचेगों प्यारो प्यारो
खुशबू स दरबार…म्हे महकावणं आया हां
आज सिंधारा श्याम का…

आज सिधांरा मेहंदी मढा़ले, सोणा सोणा हाथ रचाले
भगत खिलासी निज हाथा स, मन चाहा पकवान तु खाले
मीठो मगही पान…म्हे खिलावण लाया हां
आज सिंधारा श्याम का…

मीठा मीठा भजन सुणास्यां, चरणां मे थारा रम जास्या
आज नही कुछ मागां थासुं, बस नैना सै नैन मिलास्या
प्रेम को रिश्तो श्याम…म्हे निभावणं आया हां
आज सिंधारा श्याम का…

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