तर्ज- बहुत हो गया अब ।
हाथों का ताज सिर पे, सजा दो कन्हैया,
नज़र अपनी मुझको,
नज़र अपनी मुझको,
लगा दो कन्हैया,
हाथो का ताज सर पे,
सजा दो कन्हैया Ibdi
कांच जो टूटे तो जुड़ नहीं पाता,
सुनता हूँ फूटी किस्मत,
तू ही बनाता किस्मत मेरी भी,
बना दो कन्हैया,
हाथो का ताज सर पे,
सजा दो कन्हैया Ibdi
मेरा अब ये जीवन,
है तेरे भरोसे,
छोड़ ना देना मुझको,
जग के भरोसे,
भरोसा ‘कपिल’ का,
बढ़ा दो कन्हैया,
हाथो का ताज सर पे,
सजा दो कन्हैया Ibd
हाथों का ताज सिर पे,
सजा दो कन्हैया,
नज़र अपनी मुझको,
नज़र अपनी मुझको,
लगा दो कन्हैया,
हाथो का ताज सर पे,
सजा दो कन्हैया | bd l