October 2025

प्रभु जन्मे कृष्ण मुरारी

प्रभु जन्में कृष्ण मुरारी, नंदलाल पीतांबर धारी,नंदलाल पीतांबर धारी, गोपाल कृष्ण मुरारी।प्रभु जन्में कृष्ण मुरारी…….. कारागार में जन्म लिया जब,टूटी बेडिया अचरज में जब,कारागार में जन्म लिया जब,टूटी बेडिया अचरज में जब,नारायण, नारायण, नारायण स्वयं पधारे हैं,नंदलाल पीतांबर धारी।नंदलाल पीतांबर धारी, गोपाल कृष्ण मुरारी।प्रभु जन्में कृष्ण मुरारी…….. बाल प्रभु की छटा निराली,नाचे देवगण बजा के […]

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मिठी वृन्दावन की सेवा

मिठी वृन्दावन की सेवा,                श्यामा श्यामहि नीकी लागत,ज्यों    बालकहि कलेवा                              मिठी वृन्दावन की सेवा              मिठी….          1.बेलि हमारी कुल देवी सब,विटप गुल्म सब देवा

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श्याम मथुरा न जा

श्याम मथुरा ना जा तेरी राधा रो रो पुकारेहम जिएंगे किसके सहारे गोपी ये रो रो के आहें भरेतेरे बिना है कौन नटखट मेरेश्याम मथुरा ना जातेरी गैईया रो रो पुकारेहम जिएंगे किसके सहारे किधर गई ओ तसली तेरीरुल जायेगी जींद कली मेरीश्याम मथुरा ना जायशोदा मैया ये रो रो पुकारेहम जिएंगे किसके सहारे तेरे

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राधारमण मेरे गिरधारी

श्लोक:करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥ तन में मन में बसे बिहारी, हे गिर्राजधरण वनवारीतुम्हरे दरस को व्याकुल नैना, ढूंढें तोहे गली चौबारीतन में मन में मेघ वरण मंगल करण, तुम गिर्राजधरणबिनती सुनो मोरी हे वनवारी, रखियो लाज हमारीतन में मन में कमल नयन अति कोमल चरण, हे राधारमणाहे कृपालु

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नरसिंह जयंती की हार्दिक बधाई

नरसिंह जयंती की हार्दिक बधाई श्रीनरसिंह जयन्ती की कोटिन कोटि बधाई (संकीर्तनः हरि बोल हरि बोल, हरि बोल हरि बोल) आज नरसिंह जयन्ती आई, झूम झूमकर नाचो गावो, मंगल गीत बधाई ।। हिरणयकशपु ब्रह्मदेव से, पा करके वरदान।विष्णु पूजा बंद बरवा, खुद बन बैठा भगवान ।।जुल्म सितम की पाप पताका, तीनलोक फहराई-आज नरसिंह. उसके अपने

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मथुरा के कन्हैया गोकुल के नन्दकिशोर

मथुरा के कन्हैया , गोकुल के नंदकिशोर ,मुझे रख ले अपनी शरण में , मैं आया तेरी ओर , रिश्ता ये तेरा मेरा , सदियों पुराना ,फिर से रिश्ता कान्हा , हमको निभाना ,मेरे इस मन को तो , भाए ना कोई ओर ,मुझे रख ले अपनी शरण में , मैं आया तेरी ओर ,

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देखु सखि, द्वै सावन सँग भाय

देखु सखि, द्वै सावन सँग भाय।सावन महँ जनु तनु धरि सावन, रस बरसावन आय।इत सावन घनश्याम उतै जनु, तनु घनश्याम जनाय।इत सावन दामिनि दमकनि उत, पीत – वसन फहराय।इत सावन नभ इंद्र धनुष उत, मणिगण मुकुट लखाय।इत सावन बरसावत जल उत, आनँद – जल बरसाया।इत सावन तृण हरित अवनि उत, काछनि हरित सुहाय।इत सावन दादुर

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मैया! मैं तो मोहिनि-रूप बनैहौं

मैया! मैं तो मोहिनि-रूप बनैहौं।घघरा चुन्नटदार पहिरिहौं, चुनरी शीश धरैहौं।बेंदी भाल लाल लगवैहौं, सेंदुर माँग भरैहौं।वेणी गूँथि पहिरि नथ बेसर, सुरमा सुघर लगैहौं।गर दुलरी, लर हार मोतियन, उर कंचुकी कसैहौं।कर करपत्र चुरी कंकण-मणि, मेहँदी लाल रचैहौं।घूँघट को पट घनो काढ़िहौं, लाजन लाज लजैहौं।नाँव साँवरी सखी धेरैहौं, गति हंसहुँ सकुचैहौं।कालि छली चंद्रावलि अलि मोहिं, आजु छलन

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ढाँपि मुख कामरि रूठे लाल।

ढाँपि मुख कामरि रूठे लाल।उठहु लाल बेला गोचारण, द्वार टेरि रहे ग्वाल।कैसेहुँ उठत न, उठत, न बोलत, रिस भौंहन बल भाल।‘बात कही किन कहा?’ मातु कह, उठि बोले ततकाल।‘सुनु मैया ! मोते कह भैया’, इमि कहि रुदत गुपाल।बिनु पितु मातु आपु कह मो कहँ, हँसत ग्वाल दै ताल।बाबा तोहिं परो पायो कहुँ, कहँ लौं कहौं

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धरो मन, भानुलली को ध्यान

धरो मन, भानुलली को ध्यान।जाको ध्यान धरत निशिवासर,सुंदर श्याम सुजान।कनक मुकुट सिर चारु चंद्रिका,तापर लर मुक्तान।चूनरि जरिन किनार गौर तनु,नीलांबर परिधान।श्रुति ताटंक गुंथी वर वेणी,लजवति भौंह कमान।नासा भल मुक्ताहल सोहति,मन मोहति मुसकान।पग पायल गति अति अभिरामिनि,लखि मराल सकुचान ।पाय ‘कृपालु’ सरस अस स्वामिनि,चरन न कस लपटान॥

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