हारूं या जीतूं न मुझको छोड़ना

हारूं या जीतू ना मुझको छोड़ना
अपने भक्तों से यूं मोना मोड़ना,
हारूं या जीतू ना मुझको छोड़ना
अपने भक्तों से यूं मुंह न मोड़ना
तेरी कृपा बरसती है तब आती मस्ती है
बिन तेरे बाबा  श्याम मेरी क्या हस्ती है।

पिछले समय को कैसे भूलू बाबा उलझा था मैं तो झंझटों में बाबा,
मुझे याद है वह भी दिन दर बदर भटकते थे,
दो रोटी के बदले मुझे ताने मिलते थे।
हरूंया जीतू मुझको ना छोड़ना अपने बच्चों से तुम मुंह न मोड़ना।।

जो भी तेरे दर पर आता वह तो जीत जाता है,
कृपा तेरी पाकर बाबा फिर अभिमान भी आता है,
प्रेमी को प्रेमी से तुम यूं न तोड़ना,
अपने बच्चों से यूं मुंह ना मुड़ना।।

तेरी कृपा से अब तो मौज है बाबा दुनिया के सारे सुख तेरे चरणों में बाबा।
दुख में भी साथ तू सुख में भी साथ तू ,
(रोशन) की यह अर्जी, देना हरदम साथ तुम
हारूं या जीतू ना मुझको छोड़ना अपने भक्तों से तुम मुंह न मोड़ना।।

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