श्याम तेरी किरपा

पड़ा हूँ आके तेरी शरण में,
बनाते बिगड़ी हो नाथ छण में
तेरा भरोसा है जिसके मन में
मिले ठिकाना उसे चरण में ।

दानी दयालु तेरे द्वार पे जो भी आया
श्याम तेरी किरपा उसपे हो गई
जिसने भी तुझको है ध्याया
खाटूवाले खाटूवाले तुझ बिन
मुझको कौन सम्भाले…

जग में तेरा नाम बड़ा है तू दातार है मोटा
बहुत दिनों में अटका पड़ा है मेरा काम ये छोटा
क्यों ना करते सुनाई काहे देर तू लगाई
क्या है मुझमें बुराई बोलो श्याम कन्हाई
कहो दीनबंधु क्यों ये दीन पसंद नहीं आया
श्याम तेरी किरपा…

ये भी सुनलो श्याम तुम्हारे दर से मैं ना हटूंगा
हरपल बाबा तुझको पुकारू, तेरा ही नाम रटूंगा
दूजे द्वारा जो मैं जाऊं तेरी हंसी मैं कराऊँ
कहाँ मुख दिखलाऊं क्या मैं जग को बताऊं
कैसे कहूं कि मुझे खाली ही हाथ लौटाया
श्याम तेरी किरपा…

सब कुछ तूने नाथ दिया है एक कमी क्यों रखी
मेरे हृदय में तुम बस जाओ निरखू प्यारी झांकी
बिन्नू तुझको निहारे सारे जग को बिसारे
मत नखरे दिखा रे आ रे मितवा प्यारे
करके भरोसा तेरा मैं ये सपना सजाया
श्याम तेरी किरपा..

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