माखन मिश्री को हांडा है चढ़ रहे शिखर पे झंडा है

माखन मिश्री को हांडा है चढ़ रहे शिखर पे झंडा है
यहां आदि गौड़ अहि भाषी ब्राह्मण बलदाऊ के पंडा है
सारे जग कि वो मात् रेवती करती है रखवारी
मेरे दाऊजी महाराज बिरज में हो गए हैं अवतारी
मेरे ठाकुर दाऊ दयाल जगत में हो गए हैं अवतारी

थोड़ी पर हीरा रजत है एक गले में कटला सजत है
सिर पच चीरा चमक रहयो द्वार पे नौबत बजात है
श्यामल रंग अंग अति शोभित झांकी अजब तुम्हारी
मेरे दाऊजी महाराज बिरज में हो गए हैं अवतारी
मेरे ठाकुर दाऊ दयाल जगत में हो गए हैं अवतारी

सिर मोर मुकुट लट  घुंघराले 40 गज में सजने वाले
हल धर हल मुसर कर धरे पी रहे भांग के तू प्याले
कर सिंगर रेवती मैया खड़ी है तेरे अगड़ी
मेरे दाऊजी महाराज बिरज में हो गए हैं अवतारी
मेरे ठाकुर दाऊ दयाल जगत में हो गए हैं अवतारी

लग रही भगते 56 है सज रहे 36 व्यंजन है
हो गया धन्य जीवन भक्तों मिले तुम्हारे दर्शन है
नंदकिशोर छवि तेरी अनुपम जाऊं मैं बलिहारी
मेरे दाऊजी महाराज बिरज में हो गए हैं अवतारी
मेरे ठाकुर दाऊ दयाल जगत में हो गए हैं अवतारी

माखन मिश्री को हांडा है चढ़ रहे शिखर पे झंडा है
यहां आदि गौड़ अहि भाषी ब्राह्मण बलदाऊ के पंडा है

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