महफिल नहीं है बावरे कीर्तन है बाबा श्याम का

महफिल नहीं है बावरे,
कीर्तन है बाबा श्याम का,
बनके दीवाना देख ले,
तू भी प्रभु के नाम का ।।

कीर्तन करो तो ऐसे,
सुधबुध ही भूल जाओ,
भक्ति का है ये सागर,
बस इसमे डूब जाओ,
आँखों में हो नजारा,
बस तेरे खाटू धाम का,
मेहफिल नही है बावरे,
कीर्तन है बाबा श्याम का।।

कीर्तन का भाव ही तो,
प्रभु से मिलन कराता,
भीगी हुई आखों से,
अक्सर ये नज़र आता,
भजले जरा तू भाव से,
ये रस्ता आठों याम का,
मेहफिल नही है बावरे,
कीर्तन है बाबा श्याम का।।

बाधाए है मिटाता,
करते है जो भी कीर्तन,
परछाई बनके बाबा,
रहता है श्याम के संग,
कीर्तन बिना ये जीवन,
नहीं है किसी भी काम का,
मेहफिल नही है बावरे,
कीर्तन है बाबा श्याम का।।

महफिल नहीं है बावरे,
कीर्तन है बाबा श्याम का,
बनके दीवाना देख ले,
तू भी प्रभु के नाम का ।।

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