बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती,
जो तेरी दया की प्रभु,
बरसात ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥1॥
तर्ज: देखे – दुनिया चलती पैरों पर
सोया तो ही आए मुझे,
उम्मीद के सपने,
मैं कैसे देख पाता,
सूरज की वो किरणें,
जो काली अंधेरी घनी,
वो रात ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥1॥
तकदीर के लिखे को,
प्रभु तुमने संवारा,
दर दर पे भटकता यूँ ही,
बदहाली का मारा,
जो झोली में इस दर की,
ये खैरात ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥2॥
जो तोड़ दिए होते,
दुनिया के ये बंधन,
गर तुझ पे भरोसा किया,
होता मैंने भगवन,
फिर मेरी तेरे जग में,
कभी मात ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥3॥
मिलते जो ना तुम मुझको,
मालिक के रूप में,
जल जाते पैर बाबा,
‘पंकज’ के धूप में,
तेरे प्यार की ये छाया,
जो मेरे साथ ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥1॥
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती,
जो तेरी दया की प्रभु,
बरसात ना होती,
बाबा मेरे जीवन में,
कोई बात ना होती। ॥2॥