प्रभु मैं पूछ रहा एक बात
प्रभु मैं पूछ रहा एक बात ।बैठा है तू सबके अन्दर, फिर क्यों पाप होइ जात ।। प्रभु मैं…. गजब तमाशा नित्य करे तू , दिन करता फिर रात ।एक ही साँचे में सब ढलते, फिर क्यों भेद दिखात ।। प्रभु मैं…. जहाँ पाप तहाँ पुण्य बसा है, जहाँ पुण्य तहाँ पाप ।दीपक ऊपर करे […]
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